हिंदी है हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है,
जहाँ जन्म हुआ मानवता का,
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है
संस्कृति हमारी बड़ी ही प्यारी
बोली हमारी हिंदी और हिंदी से हिदुस्तान है,
जो हमारी सभ्यता से हमें जोड़ती ,
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है
कबीर रहीम तुलसी वे संत सभी महान हैं,
रचना इनकी अद्भुत हिंदी से डाली इसमें जान है,
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है
भारत के कई महान कवियों ने
अपनी रचना में हिंदी भाषा अपनाई है,
हिंदी का है महत्त्व बहुत,यह बात सभी को समझाई है,
हिंदी रहती सदा ही दिल में मेरे
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है
तत्सम तद्भव देशी और विदेशी,
हिंदी ने सभी शब्दों को सहजता से अपनाया है,
बहुत ही सभ्य है यह भाषा बढ़ता सदा ही मान है
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है।
राष्ट्रगान भी हमने हिंदी में ही गाया है,
रचे गए कई साहित्य और बना नया इतिहास है,
हिंदी से ही लगता अपनेपन का आभास है
वो हिंदी मेरे लिए बहुत ही खास है
उस हिंदी से कुछ अलग ही मेरी पहचान है।
सोनी गुप्ता
नई दिल्ली
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