दोस्ती और अहम

रेवती और कुमार एक बार फिर कॉलेज कैंटीन में टकरा गए, एक दूसरे को देखकर दोनों अचंभित हो गए क्योंकि सालों पहले की बात थी जब वे दोनों अपना खाली समय कैंटीन में बिताते थे। रेवती की इस कॉलेज में नई जॉइनिंग थी और कुमार शुरुआत से इसी कॉलेज में पढ़ा रहा था। ना जाने कितने लम्हे कुछ समय में मन में कौंध गए, कैसे वह दोनों खुश है थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कॉलेज खत्म होते-होते होते होते हैं दोनों के बीच अनबन हो गई, अहम में एक दूसरे से अलग हो गए।

सालों बाद मिले तो एक दूसरे के बिना बीते इतने सालों के किस्से एक दूसरे को सुना रहे थे कि पीछे से आवाज आई मां....
कुमार ने पीछे देखा तो पाया कि वह बच्ची रेवती को ही बुला रही थी। कुमार को धक्का सा लगा और चाय का कप हाथ से छूट गया। रेवती हालात को समझ रही थी, बेटी को आने का इशारा कर वह कुमार को बीते कल के बारे में बताने लगी कि कैसे शादी हुई फिर तलाक, बच्चे की जिम्मेदारी और नॉकरी।
कुमार बहुत प्रभावित हुआ कि अकेले कैसे रेवती ने ये सब कर लिया, उसने रेवती से वादा किया कि वह हर हाल में उसकी मदद करेगा। जल्द ही कुमार ने बाकी सारे कलीग्स से रेवती की पहचान करवा दी।
रेवती के घर कुमार का आना जाना शुरू हो गया था। दो लोग फिर धीरे-धीरे करीब आ रहे थे कि आस पास के लोगों को लगने लगा कि दोनों एक रिश्ते में हैं। तरह-तरह की बातें होने लगीं, खुसफुसाहट की खबर मिलते ही आपसी मनमुटाव बढ़ने लगा।
खुद के सही और सामने वाले के गलत होने का अहम एक बार फिर दोनों के बीच पनपने लगा। इस बार दोनों ने थोड़ी समझदारी दिखाई और खुद को एक दूसरे से अलग कर लिया बिना झगड़ा किये।
दूसरी ओर रेवती के घरवाले उसपर दूसरी शादी का दबाब बना रहे थे। कुमार से मनमुटाव के बाद रेवती ने दूसरी शादी के लिए हामी भर दी और कुछ दिन बाद उससे मिलने के लिए पहुँची। वह देखकर अचंभित थी कि उसके घरवालों ने कुमार को ही चुना है उसके लिए।
लेकिन अब स्थिति बदल चुकी थी इसलिए रेवती ने समझदारी से काम लिया और कुमार को समझाया कि उसे मुझसे बेहतर बहुत लड़कियां मिल जायेगी। दो बार अहम के आड़े आते ही हमने अलग होने का फैसला कर लिया। तीसरी बार फिर से यह नहीं होना चाहिए। मेरी बेटी अपने पिता से अलग रहती है, तुम बहुत अच्छे पिता बनोगे लेकिन यदि हमारे बीच मनमुटाव हुआ तो मेरी बेटी टूट जाएगी। तुम अच्छे दोस्त हो और दोस्त बनकर रहो। प्लीज मैं अपने रिश्ते को नाम नहीं देना चाहती।
कुमार ने शांति से सारी बातें सुनी और रेवती को भरोसा दिलाया कि दुबारा वह कभी शादी की बात नहीं करेगा और अच्छे दोस्त का फर्ज निभाएगा।











      जयति जैन "नूतन"
           भोपाल  

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