कपूत
" शर्मा जी तुम्हारे घर में जब देखो तब लड़ाई-झगड़ा होता रहता है ! ज़ोर- ज़ोर से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आती रहती हैं ! आख़िर यह है क्या ?" पड़ोसी कछवाहा जी ने सवाल किया ! " अरे भाई ,मेरी बीवी और माँ की आपस में नहीं बनती ,तो मैं क्या करूं ? " शर्मा जी ने दुखी मन से कहा ! " …
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सवैयों के रंग--सावन के रंग
(1) मन को तन को,नव जीवन दे,बरसात बहार सुहावन है। जब नीर हमें सबको सुख दे,तब गीत जगे मनभावन है। बरसे बदरा हम भीग गए,पर नीर सदा अति पावन है। सुख की बगिया मन फूल खिलें,बरसे सँग नेह सुसावन है। (2) मन भीग गया,तन भीग गया,अब गीत जगा,यशगान नया। बरसा बहकी,बरसा चहकी,हर एक कहे वरदान नया।  बिजली चमकी,बिजली द…
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ग़ज़ल
शब अँधेरीकीअब सहर भी हो। उनको मेरी  ज़रा ख़बर  भी हो। रोज़    बनवाइये   महल   ऊँचे, बीच उनके  मगर शजर भी हो। घूम आओ  तमाम  दुनिया पर, आमजन की सदाख़बर भीहो। बात हैरत  की है मगर सच है, जान देकर कोई अमर भी हो। सोचना चाहिए सभी को अब, बे घरों का कहीं पे घर भी हो।        हमीद कानपुरी 1           यदि     …
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आया चौमासा
गीत गा रहा चौमासा अब,आसमान शोभित है। बहुत दिनों के बाद धरा खुश,तबियत आनंदित है।। गर्मी बीती आई वर्षा, चार माह चौमासा। कभी धूप,तो कभी नीर है, आशा और निराशा।। वरुणदेव की दया हो गई,हर प्राणी पुलकित है। बहुत दिनों के बाद धरा खुश,तबियत आनंदित है।। स्रोत नीर के सूख गए थे,   रुकने को साँसें थीं। नित्य उदा…
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