(पुस्तक समीक्षा ) :संवेदनशील कृति : काव्य दीप
और मेरा घर बना हो काँच का तो आपस में पथराव नहीं करना चाहिए अन्यथा - तू भी बेघर मैं भी बेघर।" कितना कुछ कह जाता है, कवि का चिन्तन औचित्यपूर्ण हैं।संग्रह की एक कविता है "राह चलते", इस कविता की एक पंक्ति देंखे - "तुम नौकरी नहीं पा सकोगे क्योंकि वहां सब भ्रष्ट हैं रिश्वत खोर हैं…